असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए नए नियम किए गये जारी, मास्टर डिग्री वालों को मिली राहत UGC NET

UGC NET शिक्षा के क्षेत्र में करियर बनाने की इच्छा रखने वाले उम्मीदवारों के लिए एक महत्वपूर्ण खबर आई है विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती प्रक्रिया में नए बदलाव किए हैं, जिससे उच्च शिक्षा में सुधार होगा और भर्ती प्रक्रिया अधिक समावेशी बनेगी।

UGC के नए नियमों के तहत मास्टर्स डिग्री धारकों को बड़ा लाभ मिलने वाला है, क्योंकि अब असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए NET परीक्षा की अनिवार्यता को हटा दिया गया है हालांकि, कुछ विषयों में अभी भी NET/SET/SLET की आवश्यकता बनी रहेगी इन बदलावों से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नई संभावनाएं खुलेंगी और उम्मीदवारों के लिए प्रोफेसर बनने का मार्ग आसान होगा।

असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए अब NET अनिवार्य नहीं

UGC ने 2025 में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने की पात्रता में बड़ा बदलाव किया है अब मास्टर्स डिग्री में न्यूनतम 55% अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवार बिना UGC NET परीक्षा दिए भी असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए आवेदन कर सकते हैं इससे उन उम्मीदवारों को फायदा मिलेगा, जो NET परीक्षा की तैयारी के बावजूद सफलता नहीं पा सके थे।

हालांकि, यह छूट सभी विषयों के लिए लागू नहीं की गई है कुछ विशिष्ट विषयों में NET, SET या SLET परीक्षा अनिवार्य बनी रहेगी इससे शिक्षकों की गुणवत्ता बनी रहेगी और उच्च शिक्षा का स्तर बरकरार रहेगा।

मल्टीडिसिप्लिनरी पात्रता का मिलेगा फायदा

UGC के नए नियमों के तहत अब उम्मीदवारों को मल्टीडिसिप्लिनरी पात्रता का लाभ मिलेगा इसका मतलब यह है कि अगर किसी उम्मीदवार ने किसी एक विषय में NET पास किया है, तो वे उस विषय में पढ़ाने के लिए पात्र होंगे, जिसमें उन्होंने NET पास किया है, भले ही उनकी मास्टर्स डिग्री किसी और विषय में हो।

इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य उच्च शिक्षा में विविधता को बढ़ाना और अलग-अलग विषयों में शिक्षकों की उपलब्धता को सुनिश्चित करना है इससे उम्मीदवारों को ज्यादा अवसर मिलेंगे और शिक्षण संस्थानों को योग्य शिक्षक उपलब्ध कराए जा सकेंगे।

प्रमोशन के लिए PhD बनी अनिवार्य

हालांकि, नए नियमों में NET परीक्षा की बाध्यता हटा दी गई है, लेकिन शिक्षण क्षेत्र में प्रमोशन और करियर ग्रोथ के लिए PhD अनिवार्य कर दी गई है इसका मतलब यह है कि जो उम्मीदवार असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में नियुक्त होंगे, उन्हें आगे चलकर प्रोफेसर बनने के लिए PhD करनी होगी।

इस बदलाव का उद्देश्य उच्च शिक्षा में शोध और नवाचार को बढ़ावा देना है UGC का मानना है कि PhD धारकों को ज्यादा रिसर्च अनुभव होता है, जिससे वे छात्रों को बेहतर शिक्षण प्रदान कर सकते हैं।

Academic Performance Indicator (API) को किया गया समाप्त

UGC ने Academic Performance Indicator (API) प्रणाली को भी समाप्त कर दिया है पहले शिक्षकों के प्रमोशन के लिए API स्कोर अनिवार्य होता था, जिसमें रिसर्च पेपर, कॉन्फ्रेंस, और अन्य अकादमिक गतिविधियों को शामिल किया जाता था।

अब इसके बजाय शिक्षकों के व्यापक अकादमिक योगदान को महत्व दिया जाएगा इसमें इनोवेटिव टीचिंग, रिसर्च फंडिंग, डिजिटल सामग्री निर्माण, छात्रों के लिए गाइडेंस और उच्च शिक्षा में योगदान जैसी चीजों को प्राथमिकता दी जाएगी।

नए नियमों से क्या होगा असर

UGC द्वारा किए गए इन बदलावों से उच्च शिक्षा प्रणाली पर कई सकारात्मक प्रभाव पड़ेंगे।

  • भर्ती प्रक्रिया होगी आसान: NET की अनिवार्यता हटने से उम्मीदवारों के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर बनने का मार्ग सरल हो जाएगा।
  • शिक्षण क्षेत्र में विविधता बढ़ेगी: मल्टीडिसिप्लिनरी पात्रता के तहत उम्मीदवारों को ज्यादा अवसर मिलेंगे।
  • शोध और नवाचार को मिलेगा बढ़ावा: PhD को प्रमोशन के लिए अनिवार्य करने से रिसर्च कल्चर को बढ़ावा मिलेगा।
  • शिक्षकों की भर्ती में पारदर्शिता: API स्कोर हटाने से केवल शिक्षण और अकादमिक योगदान के आधार पर शिक्षकों का मूल्यांकन किया जाएगा।

क्या UGC NET की भूमिका पूरी तरह खत्म हो गई है

हालांकि, UGC ने NET की अनिवार्यता हटा दी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि UGC NET परीक्षा पूरी तरह से बंद हो जाएगी NET अभी भी कई विषयों में अनिवार्य रहेगा, और पीएचडी में एडमिशन के लिए इसकी जरूरत होगी।

इसके अलावा, सरकारी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती के लिए कई संस्थान अब भी UGC NET स्कोर को प्राथमिकता देंगे इसलिए, जो उम्मीदवार शिक्षण क्षेत्र में जाना चाहते हैं, उन्हें UGC NET की तैयारी जारी रखनी चाहिए।

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