Check Bounce Guidelines आज के डिजिटल युग में पैसों का लेन-देन कई तरीकों से किया जाता है, लेकिन अब भी बड़ी रकम के भुगतान के लिए चेक का इस्तेमाल किया जाता है हालांकि, अगर कोई चेक बाउंस हो जाए, तो यह न केवल एक बैंकिंग समस्या बनती है बल्कि एक कानूनी अपराध भी माना जाता है।
अगर आप भी चेक से लेन-देन करते हैं, तो इसके नियमों और कानूनी पहलुओं को समझना बेहद जरूरी है कई लोग चेक बाउंस होने के कारण कानूनी झंझट में फंस जाते हैं और जुर्माना भरने से लेकर जेल तक जाना पड़ सकता है अगर आप इस परेशानी से बचना चाहते हैं, तो इस लेख में बताए गए नियमों और सावधानियों को जरूर पढ़ें।
चेक बाउंस क्यों होता है?
चेक बाउंस होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
✅ अपर्याप्त बैलेंस: खाते में पर्याप्त धनराशि न होने पर बैंक चेक को अस्वीकार कर देता है।
✅ गलत सिग्नेचर: चेक पर किया गया हस्ताक्षर बैंक में दर्ज सिग्नेचर से मेल नहीं खाता है।
✅ गलत जानकारी: यदि चेक में लिखी राशि शब्दों और अंकों में अलग-अलग हो, तो बैंक इसे अमान्य कर सकता है।
✅ ओवरराइटिंग या कटिंग: चेक पर किए गए किसी भी सुधार को बैंक अस्वीकार कर सकता है।
✅ गलत तारीख: अगर चेक पर भविष्य की तारीख (पोस्ट डेटेड चेक) हो या उसमें कोई तारीख ही न हो, तो बैंक इसे स्वीकार नहीं करेगा।
✅ बंद खाता: अगर जिस खाते से चेक जारी किया गया है, वह बंद हो चुका है, तो चेक बाउंस हो जाएगा।
✅ कंपनी की मोहर न होना: यदि चेक किसी कंपनी द्वारा जारी किया गया है और उस पर कंपनी की अधिकृत मोहर नहीं लगी है, तो बैंक इसे अस्वीकार कर सकता है।
चेक बाउंस होने पर बैंक की कार्रवाई
जब कोई चेक बाउंस होता है, तो बैंक चेक जमा करने वाले को इसकी जानकारी देता है और एक “चेक रिटर्न मेमो” जारी करता है, जिसमें चेक अस्वीकार किए जाने का कारण लिखा होता है।
🔹 बैंक चेक जमा करने वाले से शुल्क वसूलता है, जो ₹150 से ₹800 तक हो सकता है।
🔹 जिस व्यक्ति ने चेक जारी किया है, उससे भी यह शुल्क लिया जाता है।
🔹 बार-बार चेक बाउंस होने पर बैंक खाता “हाई रिस्क” श्रेणी में डाल सकता है।
🔹 बैंक क्रेडिट ब्यूरो को रिपोर्ट कर सकता है, जिससे क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और भविष्य में लोन लेने में दिक्कत आ सकती है।
चेक बाउंस से संबंधित कानून और सजा
भारत में चेक बाउंस को नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत आपराधिक अपराध माना जाता है। अगर किसी व्यक्ति का चेक बाउंस होता है, तो निम्नलिखित कार्रवाई हो सकती है:
✔️ चेक जमा करने वाला व्यक्ति कानूनी नोटिस भेज सकता है और चेक जारीकर्ता को 30 दिनों के अंदर भुगतान करने का निर्देश दे सकता है।
✔️ यदि 15 दिनों के भीतर भुगतान नहीं किया गया, तो चेक जमा करने वाला व्यक्ति कोर्ट में मामला दर्ज कर सकता है।
✔️ कोर्ट में मामला दर्ज करने की समय सीमा नोटिस भेजने के 30 दिनों के अंदर होती है।
✔️ यदि अदालत में दोषी साबित होते हैं, तो:
- 2 साल तक की जेल हो सकती है।
- चेक की राशि का दोगुना जुर्माना लग सकता है।
- दोनों सजा एक साथ भी दी जा सकती हैं।
✔️ यदि जुर्माना भरने से इनकार किया जाता है, तो अतिरिक्त जेल की सजा भी दी जा सकती है।
चेक बाउंस से बचने के तरीके
अगर आप नहीं चाहते कि आपका चेक बाउंस हो और आपको कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़े, तो इन सावधानियों को अपनाएं:
🟢 हमेशा सुनिश्चित करें कि खाते में पर्याप्त बैलेंस हो।
🟢 चेक लिखते समय साफ-सुथरी और सही जानकारी भरें।
🟢 सही तारीख डालें और भविष्य की तारीख देने से बचें।
🟢 सिग्नेचर वही करें जो बैंक के रिकॉर्ड में है।
🟢 कभी भी खाली चेक पर साइन न करें और न ही किसी को दें।
🟢 अगर पोस्ट-डेटेड चेक जारी कर रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि उस तारीख तक पर्याप्त पैसे होंगे।
🟢 अगर चेक बाउंस होने की संभावना है, तो पहले ही चेक प्राप्त करने वाले व्यक्ति से बात करें और समाधान निकालें।
🟢 डिजिटल भुगतान विकल्पों (UPI, NEFT, RTGS) का उपयोग करें, ताकि चेक बाउंस की परेशानी से बचा जा सके।
अगर आपका चेक बाउंस हो जाए तो क्या करें?
अगर आपका चेक बाउंस हो गया है और आपको कानूनी नोटिस मिल चुका है, तो घबराने की जरूरत नहीं है।
🔸 चेक प्राप्तकर्ता से बातचीत करें और समझौता करने की कोशिश करें।
🔸 यदि संभव हो, तो तुरंत भुगतान कर दें ताकि मामला कोर्ट तक न पहुंचे।
🔸 अगर एक साथ भुगतान संभव नहीं है, तो किश्तों में भुगतान करने का प्रस्ताव दें।
🔸 अगर मामला कोर्ट में चला जाता है, तो किसी अनुभवी वकील की सलाह लें।
🔸 अगर साबित किया जा सकता है कि चेक केवल गारंटी के तौर पर दिया गया था और यह कर्ज चुकाने के लिए नहीं था, तो यह बचाव में मदद कर सकता है।
🔸 कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए आपसी सहमति से समाधान निकालना सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है।
निष्कर्ष
चेक बाउंस होना एक गंभीर मुद्दा है, जिससे बचने के लिए सावधानी बरतना आवश्यक है अगर आपका चेक बाउंस हो जाता है, तो तुरंत समाधान निकालें और कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए उपयुक्त कदम उठाएं।
आज के समय में डिजिटल भुगतान के कई विकल्प उपलब्ध हैं, जिनका उपयोग करके चेक बाउंस जैसी परेशानियों से बचा जा सकता है इसके अलावा, हमेशा अपने खाते में पर्याप्त बैलेंस बनाए रखें और किसी भी लेन-देन में सतर्कता बरतें।
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