Fixed Deposit Rule फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) भारतीय निवेशकों के बीच एक लोकप्रिय और सुरक्षित निवेश विकल्प रहा है हालांकि, मार्च 2025 से बैंकों ने एफडी से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण नियमों में बदलाव किए हैं, जो आपके निवेश निर्णयों को प्रभावित कर सकते हैं।
इन परिवर्तनों में ब्याज दरों में संशोधन, प्रीमैच्योर विदड्रॉल के नियमों में सख्ती, टैक्स नियमों में बदलाव, और ऑटो-रिन्यूअल प्रक्रियाओं में नई शर्तें शामिल हैं इन सभी बदलावों को समझना आवश्यक है ताकि आप अपने निवेश से अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकें और किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से बच सकें।
एफडी पर ब्याज दरों में बदलाव
मार्च 2025 से बैंकों ने एफडी पर मिलने वाली ब्याज दरों में संशोधन किया है अब बैंक अपनी तरलता और वित्तीय आवश्यकताओं के अनुसार ब्याज दरों में लचीलापन रख सकते हैं, जिससे ब्याज दरें घट या बढ़ सकती हैं विशेष रूप से, 5 वर्ष या उससे कम अवधि की एफडी पर ब्याज दरों में कमी देखी जा सकती है।
उदाहरण: यदि आपने पहले 7% ब्याज दर पर एक वर्ष की एफडी कराई थी, तो अब वही एफडी 6.5% ब्याज दर पर उपलब्ध हो सकती है, जिससे नए निवेशकों को कम रिटर्न मिलेगा।
क्या करें: विभिन्न बैंकों की ब्याज दरों की तुलना करें और उन बैंकों का चयन करें जो बेहतर ब्याज दरें प्रदान कर रहे हैं निजी बैंक अक्सर अधिक प्रतिस्पर्धी दरें देते हैं, जो आपके लिए लाभकारी हो सकता है।
प्रीमैच्योर विदड्रॉल (अकाल निकासी) के नियम सख्त हुए
पहले, एफडी को समय से पहले तुड़वाने पर मामूली पेनल्टी लगती थी लेकिन अब, प्रीमैच्योर विदड्रॉल पर अधिक पेनल्टी लगाई जा सकती है, या कुछ मामलों में इसकी अनुमति नहीं होगी इसके अलावा, कुछ एफडी स्कीम्स में लॉक-इन अवधि बढ़ा दी गई है, जिससे समय से पहले निकासी का विकल्प सीमित हो गया है।
उदाहरण: रामेश्वर जी ने अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए एफडी कराई थी, लेकिन अचानक जरूरत पड़ने पर जब उन्होंने एफडी तुड़वाने की कोशिश की, तो बैंक ने 1% अतिरिक्त पेनल्टी लगा दी, जिससे उनके रिटर्न में नुकसान हुआ।
क्या करें: एफडी करने से पहले उसकी शर्तों और नियमों को ध्यान से पढ़ें यदि भविष्य में धन की आवश्यकता हो सकती है, तो कुछ राशि लिक्विड फंड में निवेश करें, ताकि अचानक जरूरत पड़ने पर एफडी तुड़वाने की आवश्यकता न पड़े।
एफडी पर टैक्स नियमों में बदलाव
एफडी पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स कटौती (TDS) के नियमों में भी बदलाव किए गए हैं पहले, एफडी पर ₹40,000 तक के ब्याज पर कोई TDS नहीं लगता था (वरिष्ठ नागरिकों के लिए ₹50,000) अब यह सीमा घटाकर ₹30,000 कर दी गई है इसके अलावा, बैंक अब आपके PAN कार्ड के आधार पर ऑटोमैटिक टैक्स कटौती करेंगे।
उदाहरण: सीमा देवी को पहले ₹45,000 के ब्याज पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता था, लेकिन अब ₹30,000 से ऊपर की राशि पर TDS कटेगा।
क्या करें: यदि आपकी कुल आय टैक्स स्लैब में नहीं आती है, तो आप फॉर्म 15G/15H भरकर टैक्स कटौती से बच सकते हैं। इसके अलावा, टैक्स सेविंग एफडी में निवेश करने पर भी आपको कुछ हद तक राहत मिल सकती है।
एफडी ऑटो-रिन्यूअल के नए नियम
अक्सर लोग एफडी को ऑटो-रिन्यू मोड पर रखते हैं, जिससे मैच्योरिटी के बाद एफडी अपने आप रिन्यू हो जाती है लेकिन अब, यदि आपने ऑटो-रिन्यूअल का विकल्प चुना है, तो बैंक नई ब्याज दरों के अनुसार एफडी रिन्यू करेगा, भले ही वह दर पहले के मुकाबले कम हो कुछ बैंकों ने यह नियम लागू किया है कि एफडी रिन्यू होने से पहले ग्राहक की मंजूरी अनिवार्य होगी।
उदाहरण: मोहन जी की एफडी 7% ब्याज पर थी, लेकिन रिन्यूअल के बाद वही एफडी 6% ब्याज पर चली गई, क्योंकि उन्होंने नई शर्तों को ध्यान से नहीं पढ़ा।
क्या करें: एफडी मैच्योर होने से पहले बैंक से संपर्क करें और नई ब्याज दरों की जानकारी लें यदि दरें कम हैं, तो आप एफडी रिन्यू कराने के बजाय दूसरे बैंक में बेहतर विकल्प तलाश सकते हैं।